शेखावटी सुयश
छाछ-राबड़ी, कांदो-रोटी, ई धरती को खाज।
झोटा देवै नीम हवा का, तीजण कर री नाज।।
पकी निमोली लुल झाला दे, नीम चढ़डी इठलावै।
मन चालै मोट्यारां का, जद टाबर गिटकू खावै।।
लूआ चालै भदै काकड़ी, सांगर निपजै जांटी।
कैर-फोगलो बिकै बजारां, वाह भई शेखावाटी।।
झोटा देवै नीम हवा का, तीजण कर री नाज।।
पकी निमोली लुल झाला दे, नीम चढ़डी इठलावै।
मन चालै मोट्यारां का, जद टाबर गिटकू खावै।।
लूआ चालै भदै काकड़ी, सांगर निपजै जांटी।
कैर-फोगलो बिकै बजारां, वाह भई शेखावाटी।।
रांभै गाय तुड़ावै बाछो, छतरी ताणै मोर।
गुट्टर-गूं कर चुगै कबूतर, बिखरै दाणा भोर।।
झग्गर झोटा दे' र धिराणी, बेल्यां दही बिलोवै।
फोई खातर टाबर-टोली काड हथेली जोवै।।
टीबां ऊपर लोट-पलेटा, अंग सुहावै माटी।
ल्हूर घालरी कामण गार्यां, वाह भई शेखावटी।।
गुट्टर-गूं कर चुगै कबूतर, बिखरै दाणा भोर।।
झग्गर झोटा दे' र धिराणी, बेल्यां दही बिलोवै।
फोई खातर टाबर-टोली काड हथेली जोवै।।
टीबां ऊपर लोट-पलेटा, अंग सुहावै माटी।
ल्हूर घालरी कामण गार्यां, वाह भई शेखावटी।।
रोही को राजा रोहीड़ो, चटकीलै रंग फूल।
मस्तक करै मींझर की सोरम, लुलै नीमड़ा झूल।।
गुड़-गुड़ करतो हुक्को घूमै, घणी सुहाणी रातां।
सीधा सादा लोग मुलकता, भोली भोली बातां।।
ऊंट-ऊंटणी भोपा-भोपी, छान ओबरा टाटी।
कोट-कंगूरा छतर्यां ऊपर, वाह भई शेखावाटी।।
मस्तक करै मींझर की सोरम, लुलै नीमड़ा झूल।।
गुड़-गुड़ करतो हुक्को घूमै, घणी सुहाणी रातां।
सीधा सादा लोग मुलकता, भोली भोली बातां।।
ऊंट-ऊंटणी भोपा-भोपी, छान ओबरा टाटी।
कोट-कंगूरा छतर्यां ऊपर, वाह भई शेखावाटी।।
नथली झूलै नाक, गलै में सोवै नोसेर हार।
जुलम करैं आंख्यां को काजल, मैंदी रचै सुप्यार।।
नेह-लाज ममता-समता को, घमों सुहाणो रूप
ईं धती की गजबण जाणै स्यालै की सी धूप।।
साफो बांधै मूंछ मरोड़ै, चित चोरै कद-काठी।
मरद अठे का रसिक हठीला, वाह भई शेखावाटी।।
जुलम करैं आंख्यां को काजल, मैंदी रचै सुप्यार।।
नेह-लाज ममता-समता को, घमों सुहाणो रूप
ईं धती की गजबण जाणै स्यालै की सी धूप।।
साफो बांधै मूंछ मरोड़ै, चित चोरै कद-काठी।
मरद अठे का रसिक हठीला, वाह भई शेखावाटी।।
माल उतर ज्यावै चरखै की, सुगमो सावण आतां।
गावै गीत गुवाड़ा, गजबण करै सुरंगी बातां।।
झूलो झूलै चढ़ी ड़ावड्यां, ऊबकली मचकावै।
काका जोड्यां ल्हूर घालती, कामण मिल मुलकावै।।
तीज सुरंगी, जो' डा-पूजण,राखी गूगाजांटी।
कामणगारो सावणियो, नखराली शेखावाटी।।
गावै गीत गुवाड़ा, गजबण करै सुरंगी बातां।।
झूलो झूलै चढ़ी ड़ावड्यां, ऊबकली मचकावै।
काका जोड्यां ल्हूर घालती, कामण मिल मुलकावै।।
तीज सुरंगी, जो' डा-पूजण,राखी गूगाजांटी।
कामणगारो सावणियो, नखराली शेखावाटी।।
सीली रात पपड्यो जुल्मी पिया पिया दे बोल।
विरै दरद की मारी को,सुण थिर मन ज्यावै डोल।।
भोर होय कुहुक कोयलड़ी, सोई हुक जगावै।
छतरी ताणै झूम मोरियो, नाचै कदम मिलावै।।
मौज करै सूवा-टूटूड़ी, चुगै कमेड़ी गाती।
मरवण ऊबी पीव उडिकै, वाह भई शेखावटी।।
विरै दरद की मारी को,सुण थिर मन ज्यावै डोल।।
भोर होय कुहुक कोयलड़ी, सोई हुक जगावै।
छतरी ताणै झूम मोरियो, नाचै कदम मिलावै।।
मौज करै सूवा-टूटूड़ी, चुगै कमेड़ी गाती।
मरवण ऊबी पीव उडिकै, वाह भई शेखावटी।।
जच्चा ओढै पीलो मनहर, सदा सुहागण चुनड़ी।
अचकना बागो बनड़ो पैरै, बेस कसमुल बनड़ी।।
गठजोड़ै की जात चाव सै, होलर जणै सुभागण।
पौबारा को सगुण मिलै' जे, दोगड़ लियां सुहागण।
खर बायंो दैणी गौमाता, मिलै दही की काठी।
चाला कटै सगुण सध जाणै, वाह भई शेखावाटी।
अचकना बागो बनड़ो पैरै, बेस कसमुल बनड़ी।।
गठजोड़ै की जात चाव सै, होलर जणै सुभागण।
पौबारा को सगुण मिलै' जे, दोगड़ लियां सुहागण।
खर बायंो दैणी गौमाता, मिलै दही की काठी।
चाला कटै सगुण सध जाणै, वाह भई शेखावाटी।
हरी-भरोटी, दोगड़-रोटी,गाय चुंघाती बाछो।
धोली चील लूंगती नोल्यो, मुर्दो सामीं जातो।।
साबत नाज हरी तरकारी, भोत भलेरा सूण।
दसरावै नै लीलटांस दिख, बदलै जाणी जूण।।
धोली चील लूंगती नोल्यो, मुर्दो सामीं जातो।।
साबत नाज हरी तरकारी, भोत भलेरा सूण।
दसरावै नै लीलटांस दिख, बदलै जाणी जूण।।
---योगेन्द्र सिंह तिहावली
yogendratihawali@yahoo.com
Very Nice Poem Dost Gret yr mere liye kahne k liye word nhi h. Aapki kabiliyat ko salam....... Thiwali axar me jata rhata hu mere se milna dost......
ReplyDelete